शांता दादी अपनी दवाइयों की छोटी थैली खो बैठीं। ठंडी हवा और गीली चप्पलें, आँखों में पानी ही पानी। हमने उनका हाथ थामा, कम्बल ओढ़ाया, दवा दी, और कुर्सी पर बैठाकर गरम चाय दी—चेहरे पर रंग लौट आया।
हमारे शिविरों में बुज़ुर्गों को गरिमा के साथ जगह मिलती है—दवा, गर्म बिस्तर, और देखभाल।
आपका दान किसी दादी‑दादा की पूरी रात सुरक्षित और चैनभरी कर देता है। मदद कीजिए।
अमृता अपने सात साल के बेटे को सूखी रोटी पानी में भिगोकर खिला रही थी। चूल्हा भीग चुका था, घर में एक दाने की उम्मीद नहीं थी। जब हमारी टीम पहुँची, बड़े भगौनों में खिचड़ी पक रही थी, साफ़ पानी की कैनों के साथ। बच्चे पहले तो चुप रहे, फिर कटोरियाँ बढ़ा दीं – जैसे पेट ही नहीं, डर भी भरना था।
मैं, हर्ष छीकारा, जानता हूँ—भूख सबसे बड़ा दर्द है। इसलिए हम पका भोजन, सूखा राशन और पीने का पानी रोज़ पहुँचा रहे हैं, ताकि कोई बच्चा भूखा न सोए।
आपका ₹500 आज एक छोटे परिवार का खाना बन सकता है। अभी दान करें।
रात ठंडी थी, दीवारें गिर चुकी थीं, दादी की खाँसी बढ़ती जा रही थी। टपकती बरसात में एक सूखा कोना भी जान बचाता है। हमने तिरपाल खींचा, कंबल दिए, सूखे कपड़े पहनाए; हमारी डॉक्टर बहन ने वहीं स्वास्थ्य जाँच की—बुखार, घाव, दवाइयाँ… सब तुरंत।
मैं और मेरी टीम हर शिविर में यही वादा करते हैं—“कोई अकेला नहीं है।”
आपका ₹2,100 एक परिवार के लिए आश्रय किट है; ₹1,000 में स्वच्छता‑स्वास्थ्य किट।
आज की आपकी मदद, किसी की आज की रात सुरक्षित कर देगी। अभी सहयोग करें।
पानी उतरते ही खेतों में कीचड़, घरों में टूटी ईंटें और मन में लंबी साँस—“अब कहाँ से शुरू करें?” किसान महेंद्र ने कहा, “दीवार फिर उठेगी, बस पहला सहारा चाहिए।” हमने टीन शीट पकड़ी, रस्सी बाँधी, घर की पहली छत फिर खड़ी हुई। बच्चों को स्कूल किट मिली, कॉपियाँ खुलीं—क्लास की घंटी दुबारा बजी।
हम घरेलू किट, स्कूल किट और आजीविका के छोटे साधन देते हैं, ताकि सम्मान के साथ ज़िंदगी दोबारा खड़ी हो।
आपका ₹5,100–₹11,000 किसी टूटे घर की पहली ईंट है। अभी दान करें।
मैं हर्ष छीकारा हूँ। अकेले मेरे हाथ छोटे हैं, पर जब आप हाथ थाम लेते हैं, तो हम दूर के गाम तक भी पहुँच जाते हैं। एक रुपया दवाई बनता है, एक कंबल गर्मी बनता है, एक तिरपाल छत बनता है—और एक साथ मिलकर जीवनदान बन जाता है।
हरियाणा के साथ पंजाब के लोग भी यही दुःख झेल रहे हैं—पानी उतरता है, पर दर्द नहीं। हम दोनों तरफ़ पहुँचे हैं, क्योंकि इंसानियत की सीमा नहीं होती।
अभी दान करें—आपका भरोसा हमारी सबसे बड़ी ताक़त है। 80G कर‑छूट उपलब्ध।
हम आभारी हैं उन सभी लोगों के जिन्होंने इस कठिन समय में दिल खोलकर सहयोग दिया।
हर दान सिर्फ़ मदद नहीं, किसी परिवार के लिए जीवनदान है।
आपका नाम इस सूची में जुड़कर दूसरों को भी प्रेरित करेगा।
September 15, 2025
हम इस अभियान की ताज़ा जानकारी और प्रगति यहीं साझा करेंगे।
आप जुड़े रहिए ताकि हर नए बदलाव और सफलता की कहानी आप तक पहुँचे।
आपके सहयोग से ही राहत और पुनर्निर्माण का काम तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
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